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दिल्ली में पूर्वांचली आप-बीजेपी का बिगाड़ेंगे खेल?

पूर्वांचली आप-बीजेपी का बिगाड़ेंगे खेल?

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान निर्धारित है। इसके पूर्व, दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को लेकर आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला दिलचस्प है। सभी दल चुनाव प्रचार के माध्यम से अपने वोट बैंक को बढ़ाने के प्रयास में लगे हुए हैं। इस चुनाव में बीजेपी आम आदमी पार्टी के प्रमुख वोट बैंक, पूर्वांचली मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की योजना बना रही है। दिल्ली की चुनावी राजनीति में पूर्वांचली मतदाताओं की लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी है, और बीजेपी को यह भलीभांति जानती है कि यदि उसे आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर करना है, तो उसे इस पूर्वांचली वोट बैंक को अपने पक्ष में लाना आवश्यक है। AAP के समर्थक माने जाने वाले अधिकांश पूर्वांचली मतदाता पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से आकर दिल्ली में निवास कर रहे हैं। इनमें से कई लोग झुग्गी-झोपड़ी या मलिन बस्तियों में रहते हैं। इसके अतिरिक्त, पूर्वांचलियों का एक बड़ा समूह दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है।

आप के साथ कैसे खेल रही बीजेपी?

आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में जो ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की थी, उसमें पूर्वांचली वोट बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। हालांकि, इस बार राजनीतिक विश्लेषण यह संकेत कर रहे हैं कि यह वोट बीजेपी की ओर भी मुड़ सकता है। AAP ने कई पूर्वांचलियों को दिया टिकट दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में लगभग 20 सीटों पर पूर्वांचली मतदाताओं का प्रभाव महत्वपूर्ण माना जाता है। बीजेपी ने बिहार से NDA के सहयोगियों JDU और LJP (R) को एक-एक सीट देने के साथ-साथ लगभग पांच पूर्वांचली उम्मीदवारों को भी टिकट प्रदान किया है। JDU के दिल्ली प्रमुख शैलेंद्र कुमार बुराड़ी से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि LJP (R) के नेता दीपक तंवर एससी-आरक्षित देवली सीट से चुनावी मैदान में हैं। AAP ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 10 पूर्वांचली उम्मीदवारों को चुनाव में उतारा है।

AAP के प्रति लोगों में नाराजगी का कारण क्या है?

बुराड़ी में AAP ने अपने वर्तमान विधायक संजीव झा को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है, जहां लगभग 40% मतदाता पूर्वांचली समुदाय से हैं। दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाताओं का एक महत्वपूर्ण समूह है, जिनकी हर निर्वाचन क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदारी है। हालांकि, 16 विधानसभा क्षेत्रों में उनकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से अधिक होने के कारण उन्हें निर्णायक मतदाता माना जा रहा है।

आम आदमी पार्टी ने 11 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। पार्टी के नेता इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली के अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से संबंधित मतदाता मौजूद हैं, लेकिन 27 सीटों पर ये मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इन्हें अपने पक्ष में लाने के लिए छठ पूजा के समय से राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी जारी है।

भाजपा नेताओं ने यमुना में छठ पूजा पर प्रतिबंध और घाटों पर अव्यवस्था का आरोप लगाकर आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश की। इसके बाद भी मतदाता सूची में पूर्वांचलियों के नाम जोड़ने और हटाने को लेकर राजनीति चलती रही।

भाजपा कार्यकर्ताओं को यह आशा थी कि इस बार अधिक संख्या में पूर्वांचली नेताओं को चुनावी टिकट प्रदान किया जाएगा, लेकिन उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा।

वर्ष 2020 के चुनाव में भाजपा ने 11 और उसके सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने दो सीटों पर पूर्वांचली नेताओं को टिकट दिया था। इस बार यह संख्या आधे से भी कम रह गई है। भाजपा ने लक्ष्मी नगर से अभय वर्मा, करावल नगर से कपिल मिश्रा, किराड़ी से बजरंग शुक्ला, विकासपुरी से डॉ. पंकज कुमार सिंह और संगम विहार से चंदन कुमार चौधरी को टिकट आवंटित किया है।

बता दें कि दिल्ली में 5 फरवरी को चुनाव है और 8 फरवरी को चुनाव के परिणाम आएंगे। 70 सीटों पर वोटिंग होनी है।

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